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बार्षिक लेखन प्रतियोगिता शिक्षा या ब्यापार

आजकल शिक्षा भी ब्यापार बनगयी है। पुराने समय में गुरुकुल की ब्यबस्था होती थी। गुरु अपने शिष्य के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था। शिष्य भी गुरु केचरणौ मे अपना सारा बैभव न्यौछाबर करदेता था।


       गुरु द्रोणाचार्य ने अरजुन को श्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के लिए एकलब्य से  दक्षिणा में अँगूठा  माँग लिया था और एकलब्य ने भी देने मे कोई देर नही की थी।

       आजकल गुरुव शिष्य की परम्परा समाप्त होचुकी है शिक्षा को ब्यापार बनाडाला है।

      आप  कोई भी  डिग्री घर बैठे ले सकते है आज नर्सरी के बच्चे का एडमीशन भी लाख रुपये मे होता है। अब आप सोचो शिक्षा कितनी महगी होगयी है।

        आज मेडीकल कालेज डाक्टर की पढाई के लिए लाखौ रुपये डौनेशन लेते है। गरीब अपने बच्चौ को पढा़हीनही सकता है। आज शिक्षा अमीरौ की होगयी है

           क्यौकि।   "न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी"  यह कहावत गरीब बच्चौ पर लागू होती है। 

          आप परीक्षा मे कुछ मत लिखकर आओ।केवल पैसा फैको आप अच्छे नम्बरौ से पास होजाओगे। इसीलिए शिक्षा का स्तर बहुत गिर गया है।

          आज सरकार भी कुछ नही करपारही हे। सरकारी स्कूल के टीचर कुछ नही पढाना चाहते उनके स्वयं के बच्चे प्राईवेट स्कूल में पढ़ते है।  जब कि सरकारी टीचर एक लाख रुफये तनखा लेता है और प्राईवेट टीचर  सात आठ हजार लेता  है।

           सरकार को  एक आर्डर पास करना चाहिए कि किसी भी सरकारी कर्मचारी के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढने चाहिए अन्यथा उसे नौकरी छोड़नी होगी। तब देखो सरकारी स्कूलौ का सुधार कैसे नही होगा।

         इससे शिक्षा के ब्यखपार पर भी प्रतिबन्ध लगेगा।

        

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2 Comments

Punam verma

08-Mar-2022 07:58 PM

Nice

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Swati chourasia

08-Mar-2022 07:33 PM

Very nice

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